तेरे प्यार ने हम को काहिल बना दिया,वरना इतने निक्कमे हम ना थे| रातोंमे चैनसे सोया करते थे हम,उल्लू के कारवां में कभी शामिल हम ना थे| वक़्त की गिरां मालूम थी हमें,किसी के इंतजार में वक़्त इस्राफ़ ना करते थे| पर कैसे कहें हाल दिलका अब ?किसी माह-वशी के सामने गुमसुम रहा ना करते थे|
Another ....रिश्ते अगर बंधते है खून से ,तो क्यूँ बहाते है लोग लहू किसीका ?रिश्ते अगर जुड़ते है विश्वास से ,तो क्यूँ तोड़ते है भरोसा किसीका ? अगर होता है रिश्ता एक नफ़रत का भी,क्यूँ ना तोडे या बहादे इसे?
तेरे प्यार ने हम को काहिल बना दिया,
ReplyDeleteवरना इतने निक्कमे हम ना थे|
रातोंमे चैनसे सोया करते थे हम,
उल्लू के कारवां में कभी शामिल हम ना थे|
वक़्त की गिरां मालूम थी हमें,
किसी के इंतजार में वक़्त इस्राफ़ ना करते थे|
पर कैसे कहें हाल दिलका अब ?
किसी माह-वशी के सामने गुमसुम रहा ना करते थे|
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ReplyDeleteरिश्ते अगर बंधते है खून से ,
तो क्यूँ बहाते है लोग लहू किसीका ?
रिश्ते अगर जुड़ते है विश्वास से ,
तो क्यूँ तोड़ते है भरोसा किसीका ?
अगर होता है रिश्ता एक नफ़रत का भी,
क्यूँ ना तोडे या बहादे इसे?