जज्बतोंको अपने आज बहादिया मैंने ,
हर एहसास को अपने भुला दिया मैंने ।
पुछा उन्होंन, हम तो तेरे अपने थे ,
दूसरों के खातिर, हमें भी रुलादिया तुमने ।
मैं बोला , कदर नथी इस जहाँको तुम्हारी ,
संग रहते तोभी तुम रुसवा होते ।
इक्तिज़ा आपकी हर किसीको जीने के लिए ,
पर आज जिन्दगी भी हमसे बेवफा हो रही ।
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