Friday, February 26, 2010

Hindi kavita

A start to another language poems ... which i tried ...

2 comments:

  1. तेरे प्यार ने हम को काहिल बना दिया,
    वरना इतने निक्कमे हम ना थे|

    रातोंमे चैनसे सोया करते थे हम,
    उल्लू के कारवां में कभी शामिल हम ना थे|

    वक़्त की गिरां मालूम थी हमें,
    किसी के इंतजार में वक़्त इस्राफ़ ना करते थे|

    पर कैसे कहें हाल दिलका अब ?
    किसी माह-वशी के सामने गुमसुम रहा ना करते थे|

    ReplyDelete
  2. Another ....

    रिश्ते अगर बंधते है खून से ,
    तो क्यूँ बहाते है लोग लहू किसीका ?
    रिश्ते अगर जुड़ते है विश्वास से ,
    तो क्यूँ तोड़ते है भरोसा किसीका ?

    अगर होता है रिश्ता एक नफ़रत का भी,
    क्यूँ ना तोडे या बहादे इसे?

    ReplyDelete